RBI ने नहीं घटाया सीआरआर और रेपो रेट, महंगाई के आंकड़ों पर टिकी नजर
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को अपनी
मौद्रिक समीक्षा में पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई ने
रेपो रेट को 7.5 फीसदी, सीआरआर को 4 फीसदी और एसएलआर को 21.5 फीसदी पर
बरकरार रखा है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि रेपो रेट में आगे कटौती महंगाई के
कुछ और आंकड़े और बैंकों द्वारा कर्ज सस्ता करने पर निर्भर करेगी। रिजर्व
बैंक अगली द्विमासिक समीक्षा 2 जून को पेश करेगा।
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन पहले हुई रेपो रेट में कटौती के बाद
कर्ज सस्ता नहीं करने पर बैंकों पर जमकर बिफरे। ब्याज दरों में कटौती की
वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि जितना जल्दी बैंक लेंडिंग रेट को कम
करेंगे उतनी ही जल्दी देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
आरबीआई ने मंगलवार को जारी समीक्षा में कहा है कि नई सीरीज के तहत
2015-16 में जीडीपी ग्रोथ 7.8 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। इस साल के अंत
तक खुदरा महंगाई 5.8 फीसदी आ सकती है। वित्त वर्ष 2015-16 में खुदरा
महंगाई 6 फीसदी से नीचे रहने का अनुमान है। वहीं, 2017 में खुदरा महंगाई
दर 7 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है।
बैंकों को कर्ज सस्ता करना ही होगा: राजन
रघुराम राजन ने कहा कि हम बैंकों के कर्ज सस्ता करने का इंतजार कर
रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों को दरों में कटौती करनी ही होगी, वे कब
करते हैं यह देखना है। बैंकों ने कुछ चुनिंदा डिपॉजिट की दरें घटाई हैं।
उन्हें उधारी दरों में भी कटौती करनी चाहिए। रिजर्व बैंक के पास जितनी
गुंजाइश होगी आगे दरों में कटौती उसी पर निर्भर करेगी। आगे कटाैती के समय
पर अभी टिप्पणी नहीं करेंगे।
बेमौसम बारिश से महंगाई बढ़ने का खतरा
वित्त वर्ष 2015-16 के दो महीने के लिए मौदिक नीति काे जारी करते हुए
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि नए जीडीपी आंकड़ों के कारण
पॉलिसी तैयार करने में दिक्कत हो रही है। बेमौसम बारिश से महंगाई बढ़ने का
खतरा है। मानूसन के बाद महंगाई के कुछ और आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं।
यूएस फेड रिजर्व के बयानों पर भी हमारी नजर है। भारत किसी भी ग्लोबल
स्थिति से निटपने के लिए पहले से बेहतर तरीके से तैयार है। उन्होंने कहा
कि हम डिसइनफ्लेशन के रिस्क को भी ध्यान में रख रहे हैं।
चालू वित्त वर्ष में जीडीपी अनुमान बढ़ाकर 7.8 फीसदी किया
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2015-16 में जीडीपी की वृद्धि दर का
अनुमान बढ़ाकर 7.8 फीसदी कर दिया। इससे पहले रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष
के लिए जीडीपी का अनुमान 7.5 फीसदी रखा था। 2016-17 में 8.1 फीसदी रहने की
उम्मीद जताई है। रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि मानसून को लेकर
अनिश्चितता है और ग्लोबल स्तर पर हो रहे अप्रत्याशित बदलाव मुख्य
चुनौती हैं। उन्होंने कहा कि 2015-16 में करेंसी मार्केट में उतार-चढ़ाव
रहने की उम्मीद है।
शहरी कोऑपरेटिव बैंकों को क्रेडिट कार्ड जारी करने की मंजूरी
रिजर्व बैंक ने शहरी कोऑपरेटिव बैंकों को क्रेडिट कार्ड जारी करने की
भी मंजूरी मिल गई है। आरबीआई ने कहा कि अपने कारोबार के विस्तार के लिए
ज्यादा अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वित्तीय रूप से मजबूत और
व्यवस्थित शहरी सहकारी बैंकों को क्रेडिट कार्ड जारी करने की अनुमति देने
का फैसला किया गया है। इसके लिए इन बैंकों को कोर बैंकिंग सिस्टम से लैस
होना जरूरी है और उनका नेटवर्थ कम से कम 100 करोड़ रुपए होना चाहिए। इसके
अलावा राज्य सहकारी बैंको को अपने परिसर से इतर भी एटीएम लगाने तथा
मोबाइल
एटीएम के संचालन की अनुमति देने का निर्णय किया गया है। हालांकि इसके लिए
कुछ शर्तें भी होंगी, जिनकी घोषणा बाद में की जाएगी। केंद्रीय बैंक ने कहा
कि दोनों फैसलों के बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश बाद में जारी किए
जाएंगे।
बैंक दूसरे बैंकों से खरीद सकते हैं लॉन्ग टर्म बांड
रिजर्व बैंक ने बैंकों को बुनियादी ढांचा एवं आवासीय क्षेत्रों के ऋण के
लिए जारी किए जाने वाले लॉन्ग टर्म बांड (एलटीबी) में निवेश की अनुमति दे
दी है। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि ऐसी परियोजनाओं के लिए बैंक
कुछ शर्तों के साथ अन्य बैंकों द्वारा जारी बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं।
इन बॉन्ड में बैंक के निवेश को देश की बैंकिंग प्रणाली में नेट डिमांड एंड
टाइम लायबिलिटी (एनडीटीएल) की गणना में एसेट नहीं माना जाएगा। साथ ही इस
किसी विशेष इश्यू में एक बैंक द्वारा किया जाने वाले बांड निवेश की सीमा तय
होगी। साथ ही एक बैंक का इस तरह के बॉन्ड में कुल निवेश की सीमा भी तय
होगी। राजन ने कहा कि कारोबार के लिए जारी एलटीबी से बैंकों को प्राथमिक
क्षेत्र तथा तरलता के मामले में मिलने वाले लाभ कम हो जाएंगे। इस संबंध में
विस्तृत दिशानिर्देश शीघ्र जारी किए जाएंगे। पिछले साल जुलाई में बैंकों
को ख़रीद से पहले निश्चित नियमों से छूट के साथ लॉन्ग टर्म बॉन्ड जारी
करने की अनुमति दी गई थी।
रिजर्व बैंक का दो बार कर चुका है सरप्राइज कट
जनवरी से लेकर अब तक रिजर्व बैंक रेपो रेट में दो बार सरप्राइज कटौती
कर चुका है। आरबीआई ने 15 जनवरी को रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की
थी। इसके बाद 4 मार्च को आरबीआई ने फिर एक बार 0.25 फीसदी की कटौती कर
सबको चौंका दिया था।